सीहोर एक नजर में

हरियाणा के महेंदरगढ़ जिले का गाँव सीहोर क़स्बा कनीना के उत्तर में स्थित हैं| इसके उत्तर में बाघोत गाँव हैं

इस गाँव को भोज नामक व्यक्ति ने सं 1648 में बसाया था| इसका क्षेत्रफल 1800 वर्ग एकड़ हैं| लगभग 100 एकड़ में बसे इस गाँव में 740 घर हैं| इसमें नौ भिन्न भिन्न जातियों के लोग परस्पर मिलजुल कर रहते हैं 

इसमें एक विशाल भवन वाला उच्च विद्यालय हैं| इसकी बतौर प्राईमरी विद्यालय की स्थापना सं 1945 में हुई थी| माध्यमिक विद्यालय के रूप में 1953 में प्रोन्नत हुआ| तथा 1-10-1973 को उच्च विद्यालय के रूप में प्रोन्नत हुआ| इसके अतिरिक्त एक राजकीय प्राथमिक पाठशाला (बाल) एवं एक राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला भी हैं| इसमें 5 आंगनवाडी भी कार्यरत हैं

इसमें एक शिवालय, एक गायत्री मंदिर व एक बाबा भैय्याँ का भी भव्य मंदिर हैं| इसमें गाँव में दो महात्माओ के आश्रम भी हैं| धर्म शाला में बाबा ब्रह्मचारी का समाधि स्थल है| इनकी स्मृति में चैत्र बदी प्रतिपदा को विशाल मेला लगता है| आसपास के गांवों से विभिन्न लोग उनके चरणों में मथा टेकने आते हैं| इसदिन विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता हैं| खेलों के लिए आकर्षक इनाम दिए जाते हैं| बाबा के स्थल पर दिनभर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं| लोग ढफ की ताल पर नाचते हुए थकने का नाम लेते हैं|  इनके नाम के स्मरण मात्र से ही ओलावृष्टि तुरंत थम जाती है

ज्येष्ट शुदी अष्टमी को बाबा बिहारी दास के आश्रम में विशाल भण्डारा लगता है| उनकी निर्वाण तिथि की पूर्व संध्या पर जागरण होता है| जिसमे दूर दराज से आये साधु भक्ति रस की धारा प्रवाहित करते हैं| बाबा का आश्रम बड़ा रम्य एवं मनोहारी है| बाबा अपने समय ख्याति प्राप्त वैध भी थे|

यह सैनिक बहुल गाँव है यहाँ के सूरवीरों ने समय – समय पर जोहर दिखाया है| सं 1962 की भारत -चीन  की लड़ाई में जांघ एवं पेट में 6 गोलियां खाकर भी सैनिक हरफूल सिंह जरा भी विचलित न हुए और चीनी सैनिको से लोहा लेते रहे तथा मौत को भी ठेंगा दिखाते रहे| इंस्पेक्टर उमराव सिंह बी. एस. ऍफ़. उग्रवादियो से लोहा लेते हुए शहीद हुए| सं 1988 में तमिल विध्रोहियो से मुकाबला करते हुए श्री प्रभाती लाल भी खेत रहे| सं 1999 में नायक सतपाल सिंह आतंकियो से भारत माता की रक्षा करते हुए शहीद हुए|  4 सितम्बर 1999 को सैनिक अशोक कुमार कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए शहीद होगये|

इस गाँव की आबादी 5500 है| इसमें अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 360 हैं| यह गाँव वार्डों में विभक्त है, जिनमे 4 महिलाओ के लिए आरक्षित हैं| इसमें पेयजल  आपूर्ति केलिए 4 ट्यूबवैल ग्रामपंचायत द्वारा संचालित है| 1 सरकारी पानी का टैंक है, तथा 1 ट्यूबवैल भी सरकार द्वारा संचालित है|

सिचाई के मामले में यह गाँव आत्मनिर्भर है| अधिकांश सिचाई लोग ट्यूबवैलों द्वारा करते हैं| लगभग एक तिहाई क्षेत्रफल नहर द्वारा सिचाई की जाती है|

शिक्षा के क्षेत्र में भी लोगों में जागृति आई है| उच्च शिक्षा प्राप्त कर भारतीय सेना में 3 कमिशन्ड सैन्य अधिकारी कार्यरत हैं| 2 एम्.बी.बी.एस डाक्टर है| 50 अध्यापक व दो मुख्याद्ध्यापक हैं, जो ज्ञान का दीपक जलाकर बच्चों के भविष्य को उज्वल बना रहे हैं| एक भूत पूर्व कस्टम अधिकारी अब सीईओ का पद सुशोभित कर रहे हैं| इस गाँव में आजाद हिंद फोज के जवान श्री झाबर सिंह रहा करते थे, जो कि हिंदुस्तान की आजादी की जंग में भी शामिल थे|  इतना ही नहीं  भारतीय सेना पदक  प्राप्त 2 सैनिक और भी हैं |

2 दशक पूर्व तक खेलों में इस गाँव में खिलाडियों की धूम थी| टेलीविजन एवं क्रिकेट संकृति से उनके इस कौशल में कमी आई है …………….

1. जनसंख्या                                 5500

2. एस.सी संख्या                       360

3. घरों की संख्या                       728

4. बी पी एल  की संख्या          40

5. पंचायत वार्ड                          12

6. आंगनवाडी वार्ड                    5

7. पशु – अस्पताल                  1

8. सहकारी समिति बैंक           1

9. डाकखाना                             1

10. प्राधमिक चिकिस्तालय      1

 

 

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